हरिद्वार

महाविद्यालय एसएमजेएन में हुआ राष्ट्रीय हिंदी दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम

मोहम्मद आरिफ उत्तराखंड क्राइम प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(मोहम्मद आरिफ) हरिद्वार। राष्ट्रीय हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आज महाविद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, तथा इसके साथ ही त्रिदिवसीय हिन्दी कार्यक्रमों की श्रृंखला आज समाप्त हो गयी। आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर पी०एस चौहान एवं अध्यक्षता प्रोफेसर सुनील कुमार बत्रा द्वारा की गई। प्रोफेसर पी०एस चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी राजभाषा तो अनुच्छेद 343 में तो पहले ही घोषित की गई परंतु अब आवश्यकता इस बात की है कि इसे राष्ट्रभाषा के रूप में दर्जा दिया जाए, उन्होंने असेंबली की सभा के माध्यम से यह आग्रह किया कि सरकार वन नेशन वन लैंग्वेज अर्थात एक राष्ट्र एक भाषा के विचार को पुनर्जीवित करें और यथासंभव हिंदी को राष्ट्रभाषा के स्थापित करें। प्रोफेसर पी०एस चौहान ने इसके अतिरिक्त वैश्विक स्तर पर भी संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग की और कहा कि हिंदी की शक्ति निरंतर जब बढ़ती रहेगी तो एक न एक दिन संयुक्त राष्ट्र संघ भी अन्य भाषाओं की तरह इसे आधिकारिक भाषा के रूप में चिन्हित करेगा। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर सुनील कुमार बत्रा ने मुख्य अतिथि के इस प्रस्ताव को अनुमोदित किया एवं उन्होंने अत्यंत ही रोचक तरीके से एक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम को भी संचालित किया जिसमें छात्र-छात्राओं ने अत्यंत उत्साह से भाग लिया इसके साथ-साथ प्रोफेसर बत्रा ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का कोई और विकल्प नहीं हो सकता क्योंकि यह सच्चे अर्थों में ऐसी भाषा है जो की हमारी भारतीय संस्कृति को प्रतिबिंबित करती है।
अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉक्टर संजय कुमार माहेश्वरी ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में आयोजकों की मुक्त कंठ से भूरी भूरी प्रशंसा की। उन्होंने इसके साथ-साथ कहा कि दक्षिण भारतीय राज्यों को भी हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने के लिए स्वयं आगे आना चाहिए और हिंदी भाईचारे की भाषा है ना कि विरोध और हिंसा की। आज के इस कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से किया गया। छात्र-छात्रओं द्वारा लघु नाटिका प्रस्तुत की गई जिसमें प्रेम की भाषा को सर्वोपरि बताया गया। छात्र-छात्राओं द्वारा स्वरचित कविता पाठ किए गए। रुद्राक्ष भगत के द्वारा स्वरचित गीत प्रस्तुत किया गया। त्रि-दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत आज स्लोगन प्रतियोगिता आयोजित की गई। स्लोगन प्रतियोगिता में प्रथम गौरव बंसल। द्वितीय स्थान निकिता ने प्राप्त किया। तृतीय स्थान संयुक्त रूप से कशिश कंबोज और शालिनी ने प्राप्त किया। विशेष सांत्वना पुरस्कार अपराजिता को दिया गया। कार्यक्रम में सौरभ सैनी, गौरव बंसल, राधिका, आकांक्षा, अंशिका, कामाक्षा,आरती असवाल, रिया ने सहभाग किया। कार्यक्रम के अंत में कल राजौरी में हुई दुःखद घटना में शहीद हुये सैनिकों के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया। कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन डॉ मोना शर्मा, डॉ आशा शर्मा एवं डॉ लता शर्मा द्वारा किया गया।
निर्णायक मण्डल की भूमिका का निर्वहन विनय थपलियाल, डॉ नलनी जैन, डॉ तेजवीर सिंह तोमर, डॉ रूचिता सक्सेना, श्रीमती रिचा मिनोचा, श्रीमती रिकंल गोयल द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ सुषमा नयाल डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी, वैभव बत्रा, डाॅ. विजय शर्मा, डॉ सुगन्धा वर्मा, कु अनन्या भटनागर, मधुर अनेजा, मीनाक्षी, डाॅ० सरोज शर्मा, डाॅ. पल्लवी राणा, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, विनीत सक्सेना, डाॅ. रश्मि डोभाल, मोहन चन्द्र पाण्डेय सहित अनेक शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहें।

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