हरिद्वार

ऋषिकुल राजकीय आयुर्वैदिक फार्मेसी में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस एवं भगवान धन्वंतरि जयंती का भव्य आयोजन

आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ के वैश्विक अभियान की सफलता का महापर्व है आयुर्वेद दिवस: डॉ अवनीश उपाध्याय

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(गगन शर्मा) हरिद्वार। भगवान धन्वंतरि जयंती जिसे सनातन मतावलंबियों द्वारा धनतेरस के रूप में महापर्व के रूप में मनाया जाता है, उसी दिन भगवान धनवंतरि द्वारा इस ब्रह्मांड में आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र का प्रतिपादन किया गया था। इस अवसर पर हरिद्वार स्थित प्रदेश की एकमात्र जीएमपी प्रमाणित राजकीय औषधि फार्मेसी में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस एवं आयुर्वेद गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम भगवान धन्वंतरि के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं सभी कार्मिकों द्वारा पुष्प कुछ वेट कर पूजा अर्चना की गई।

इस वर्ष आयुष मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस को आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ थीम के वैश्विक अभियान के रूप में मनाया जा रहा है। बताते चलें कि लगभग सौ देशों के आम जन, किसान और छात्र ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ’ अभियान से जुड़े हैं और अब तक लगभग 12 करोड़ लोगों ने ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ अभियान’ को अपना सहयोग और समर्थन दिया है। अभियान में जन भागीदारी की 15 हजार गतिविधियों में लगभग 14 लाख लोगों ने सहभागिता की और अभियान ने पूरी दुनिया के  लगभग 90 देशों में अपनी डिजिटल पहुँच दर्ज की है। ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ’ अभियान का जन संदेश, वैश्विक जन भागीदारी के साथ एक अन्तराष्ट्रीय जन आंदोलन बन चुका है।

फार्मेसी के निर्माण वैद्य और प्रमुख डॉ अवनीश उपाध्याय ने कहा कि आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ के वैश्विक अभियान की सफलता का महापर्व आयुर्वेद दिवस है। आयुर्वेद अपने आप में एक पूर्ण एवं उन्नत चिकित्सा पद्धति है और आयुर्वेद विज्ञान, कला व दर्शन का मिश्रण है। यह विश्व की सबसे प्राचीन एवं महत्वपूर्ण विधा जन साधरण के व्यवहार में थी तथा आज भी सुदूर वनीय क्षेत्रों में कुछ अंश तक श्रुति एवं व्यवहार परम्परा के रूप में विद्यमान है। आयुर्वेद में वर्णित रोगनिदान के विभिन्न परिक्षणीय प्रकारों नाडी, मूत्र, मल, जिहवा, शब्द, स्पर्श, दृग व आकति आदि की विस्तृत चर्चा की। शोधन एवं शमन कियाओं द्वारा इनको संतुलित रखा जा सकता है।

हर्बल चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सौरभ प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद और आरोग्य का देवता माना गया है। मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। समुद्र मंथन से निकले भगवान धन्वंतरि द्वारा ही आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र का अवतरण माना जाता है। गोष्ठी में चीफ फार्मासिस्ट महेंद्र सिंह नेगी, प्रमुख सहायक ओमप्रकाश सेमवाल, औषधि स्टोर प्रभारी अजय वीर सिंह नेगी आदि द्वारा भी आयुर्वेद विषय पर संबोधन दिया गया।

कार्यक्रम का संचालन सुरेंद्र बडोनी एवं सुदेश कुमार द्वारा किया गया। इस मौके पर कार्यालय से रामकुमार चौधरी, पंकज सिंह चौहान, राजेश गुप्ता, अमन सिंह, उदयभान, दाता राम, चंद्र पाल, अशोक कुमार, श्रीमती इंदु, प्रिंस कुमार, पंकज कुमार, श्रीमती श्यामा देवी विक्की सहगल, अरविंद पुरोहित आदि उपस्थित रहे।

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